
Gomti river front
लखनऊ। सीएजी रिपोर्ट ने गोमती रिवर फं्रट में लम्बे घोटाले के अंदेशे जताए हैं। उत्तर प्रदेश के बजट के साथ विधानसभा में रखी गई सीएजी रिपोर्ट में राजधानी की गोमती रिवर फ्रंट योजना पर कई सवाल भी उठाए हैं। सीएजी ने सवाल किया है कि डायफ्रॉम वॉल का काम गैमन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को देने के संबंध में जब जांच की गई तो पता चला कि पहले टेंडर की शर्त कुछ और थी, जिसे बाद में क्यों बदल दिया गया। इस बदलाव की जानकारी टेंडर में हिस्सा लेने वालों को नहीं दी गई। इस वजह से गैमन इंडिया को काम मिला। यह एक गंभीर मुद्दा है।
आपराधिक अभियोजन योग्य है परीक्षण
सीएजी ने दीवार के बनाने की जांच के बाद रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि प्रकरण विभागीय कार्रवाई और आपराधिक अभियोजन के लिए सतर्कता के दृष्टिकोण से परीक्षण योग्य है। रिपोर्ट ने रिवर फ्रंट मामले की जांच में चार बिंदुओं पर अनियमितता की बात कही है। डायफ्रॉम वॉल संबंधी कार्य के लिए फरवरी 2015 में टेंडर निकाला गया। इसके बाद मार्च में टेंडर की शर्तें बदल दी गईं। इनमें वे शर्तें हटा दी गईं जिनको न हटाने के निर्देश वित्त विभाग से जारी हुए थे। इस बदलाव का न प्रकाशन करवाया गया और न ही निविदा में हिस्सा लेने वाली कंपनियों को जानकारी दी गई।
गैमन इंडिया को टेंडर देते समय मूल्यों का परीक्षण नहीं हुआ
सीएजी ने यह भी कहा है कि गैमन इंडिया को टेंडर देते समय उसके मूल्यों का भी परीक्षण नहीं करवाया गया, क्योंकि परीक्षण के साक्ष्य सिंचाई विभाग उपलब्ध नहीं करवा पाया। सीएजी ने कहा है कि अगर मूल शर्तें ही टेंडर के लिए लागू होतीं तो गैमन इंडिया को काम नहीं मिलता। सीएजी का मानना है कि एक अयोग्य कंपनी को काम देने के लिए टेंडर की शर्तें बदली गईं। लेकिन यह अनुचित था।
Published on:
08 Feb 2019 08:18 pm
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